वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी मोहिनी एकादशी 2018 के नाम से प्रसिद्ध है। इस दिन भगवान पुरूषोत्तम राम की पूजा की जाती है। रात्रि में भगवान का कीर्तन करके मूर्ति के समीप ही शयन करना चाहिए। मोहिनी एकादशी व्रत के प्रभाव से निंदित कार्यों से छुटकारा मिल जाता है।
वरूथिनी एकादशी के विषय में पढ़ें
मोहिनी एकादशी 2018 व्रत कथा
धृतिमान नाम का एक राजा सरस्वती नदी के तट पर स्थित भद्रावती नगरी में राज करता था। उसके राज्य में धनपाल नाम का एक वैश्य रहता था जो अत्यंत परोपकारी था। उसका अधिकांश समय लोगों की सेवा में गुजरता था। अनेकों पुण्य कर्म करके वो लोगों की सहायता किया करता था। उसके पांच पुत्र थे – सुमना, द्युतिमान, मेधावी, सुकृत तथा धृष्ट्बुद्धि। धृष्ट्बुद्धि को छोड़कर बाकी सभी पुत्र अपने पिता के परोपकार में सहायता किया करते थे। वे लोगों के लिए प्याऊ, सोने के लिए आश्रम, बाग़-बगीचे आदि बनवाते थे। श्री नारायण के लिए उनके अंदर अपार श्रद्धा थी और पिता के साथ उनकी भक्ति में समय व्यतीत किया करते थे।
धनपाल का सबसे छोटा पुत्र धृष्ट्बुद्धि बड़ा ही व्याभिचारी, दुर्जन संगती वाला और बड़ों का अपमान करने वाला था। धनपाल ने उसे सुधारने का बहुत प्रयास किया और उसे काफी मौके दिए परन्तु उसमें सुधार नहीं आया। अंत में उससे तंग आकर उसे अपने घर से बाहर निकाल दिया। वह वनों में जाकर रहने लगा और जानवरों को मारकर खा जाता था।
एक दिन पूर्व जन्म के संस्कार वश वह महर्षि कौँन्डिन्य के आश्रम में पहुंचा। ऋषि ने उसे सत्संगति का महत्व समझाया। इससे उसका हृदय परिवर्तित हो गया। वह अपने किये पाप कर्मों पर पछताने लगा। तब ऋषि ने उसे वैशाख शुक्ल की मोहिनी एकादशी 2018 का व्रत करने की सलाह दी।
एकादशी व्रत के प्रभाव से उस दुष्ट राजकुमार की बुद्धि निर्मल हो गई। इसका महात्म्य जो कोई भी सुनता या करता है उसको हजारों गौदान का फल मिलता है और पुण्य प्राप्त होता है।
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