संकट हरै मिटै सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बल बीरा ॥
अर्थात: हे वीर हनुमान जी! जो आपका सुमिरन करता रहता है, उसके सब संकट कट जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है।
जै जै जै हनुमान गोसाई ।
कृपा करहु गुरुदेव की नाई ॥
अर्थात: हे स्वामी हनुमान जी! आपकी जय हो, जय हो, जय हो! आप मुझ पर कृपालु श्री गुरु जी के समान कृपा कीजिए।
जोह शत बार पाठ कर जोई ।
छुटहि बन्दि महासुख होई ॥
अर्थात: जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा वह सब बंधनों से छूट जाएगा और उसे परमानन्द मिलेगा।
जो यह पढै हनुमान चालीसा ।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥
अर्थात: भगवान शंकर ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया, इसलिए वे साक्षी है, कि जो इसे पढ़ेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी।
तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ॥
अर्थात: हे नाथ हनुमान जी! तुलसीदास सदा ही श्री राम का दास है। इसलिए आप उसके हृदय में निवास कीजिए।
पवनतनय संकट हरन,
मंगल मूरति रूप ।
रामलखन सीता सहित,
हृदय बसहु सुरभूप ॥
अर्थात: हे संकट मोचन पवन कुमार! आप आनंद मंगलों के स्वरूप हैं। हे देवराज! आप श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय में निवास कीजिए।
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