त्रेता युग समाप्त, द्वापर युग प्रारंभ
हनुमान जी और श्री कृष्ण का प्रथम मिलन
हर राम नवमी पर हनुमान जी सरियु नदी के तट पर लोगों को भोजन कराते हैं। नारद जी ने श्री कृष्ण से कहा कि चलकर देखते हैं कि हनुमान जी आपको पहचानते हैं या नहीं। श्री कृष्ण तैयार हो गए।
वेश बदलकर नारद जी और श्री कृष्ण उसी पंगत में बैठ गए जिसमें हनुमान जी खाना खिला रहे थे। जैसे ही हनुमान जी ने प्रभु के चरण देखे उनकी आखों से आंसू आने लगे। वो बोले कि उनसे क्या त्रुटी हो गयी जो उनके प्रभु को स्वयं आना पड़ा। ऐसा क्या हो गया जो प्रभु ने उन्हें अपने धाम आने का आदेश नहीं दिया।
यह देख कर नारद जी चकित रह गए कि सिर्फ चरण देख कर हनुमान जी ने प्रभु को पहचान लिया। श्री कृष्ण बोले कि हनुमान जी से कोई त्रुटी हो ही नहीं सकती। ये तो नारद जी को परीक्षा लेनी थी जिसके कारण उन्हें आना पड़ा। तब श्री कृष्ण ने हनुमान जी को राम अवतार के दर्शन दिए। हनुमान जी पूर्ण रूप से संतुष्ट नहीं हुए क्योंकि ये दर्शन अधूरे थे।
पौन्ड्रक वासुदेव के महल का सर्वनाश
पौन्ड्रक स्वयं को असली वासुदेव कहता था और श्री कृष्ण को बहरूपिया। उसको सबक सिखाने के लिए हनुमान जी उसके महल गए और पूरा महल तोड़-फोड़ दिया। उसके बहरूपिये हनुमान को भी मारा और चेतावनी दी कि वो अपनी आदतों से बाज आ जाए वरना उसके लिए अच्छा नहीं होगा।
भीम का गर्व भंग
भीम में 1000 हाथियों की शक्ति थी। उसे इस बात का अभिमान था कि उससे ज्यादा बलशाली और कोई नहीं है। एक बार गंद माधन पर्वत पर उसने कुछ बहुत ही सुगन्धित कमलों को देखा। वो उन्हें लेने आगे बढ़ा तो मार्ग में एक वानर को सोते हुए पाया। वो एक वृद्ध वानर था। भीम ने उसे तुच्छ वानर कह कर उसका अपमान किया और कहा कि उसके मार्ग से हट जाए वरना परिणाम अच्छा नहीं होगा। वो वानर हनुमान जी थे और सोच रहे थे कि उनका छोटा भाई अपनी शक्ति के मद में बड़ों का सम्मान करना भी भूल चुका है।
उन्होंने भीम से कहा कि भाई तुम्हें जाना है तो ऊपर से होकर गुजर जाओ। भीम बोला कि वो इतना स्वार्थी नहीं है कि किसी के ऊपर से होकर गुजर जाए। हनुमान जी बोले कि फिर तुम ऐसा करो मेरी पूछ हटा दो और अपना मार्ग बना लो। भीम को सुझाव अच्छा लगा और वो पूँछ हटाने का प्रयास करने लगा। 1000 हाथियों के बल वाला भीम जब पूँछ हिला भी नहीं पाया तो उसका अभिमान चूर हो गया। वो बोला कि आप कोई साधारण वानर नहीं हो सकते। कौन हैं आप? तब हनुमान जी ने उसे अपना परिचय दिया।
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