अक्षय तृतीया

अक्षय तृतीया 2018 – अक्षय तृतीया व्रत विधि और कहानी

अक्षय तृतीया 2018 को आखातीज के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत वैशाख माह के शुक्ल पक्ष में सुदी तीज को किया जाता है। इस दिन का किया हुआ तप, दान अक्षय फलदायक होता है। इसलिए इसे अक्षय तृतीया कहते हैं। यदि यह व्रत सोमवार तथा रोहिणी नक्षत्र में पड़ता है तो महाफलदायक माना जाता है।

Akshaya TritiyaRead Akshaya Tritiya 2018 story and fast procedure in english.

वैशाख मास के अन्य त्यौहार देखें

अक्षय तृतीया 2018 व्रत विधि

इस दिन प्रात:काल पंखा, चावल, नमक, घी, चीनी, सब्जी, फल, इमली, वस्त्र के दान का बहुत महत्त्व माना जाता है। इस दिन श्री बद्रीनारायण जी के पट खुलते हैं। वृंदावन में केवल आज ही के दिन बिहारी जी के पाट के दर्शन होते हैं। इस दिन ठाकुरद्वारे जाकर या बद्रीनारायण जी का चित्र सिंहासन पर रखकर उन्हें भीगी हुई चने की दाल और मिश्री का भोग लगाते हैं। किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए यह दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन प्रातःकाल में मूंग और चावल की खिचड़ी बिना नमक डाले बनाए जाने को भी बड़ा ही शुभ माना जाता है।

अक्षय तृतीया 2018 की कथा

प्राचीन काल में एक गरीब सदाचारी तथा देवताओं में श्रद्धा रखने वाला वैश्य रहता था। यह गरीब होने के कारण बड़ा व्याकुल रहता था। सौभाग्यवश महोदय वैश्य को एक पंडित द्वारा अक्षय तृतीया के व्रत का विवरण प्राप्त हुआ। उसने इस पर्व के आने पर गंगा में स्नान कर विधिपूर्वक देवी देवताओं की पूजा की।

यही वैश्य अगले जन्म में कुशावती का राजा बना। अक्षय तृतीया के प्रभाव से वह बड़ा धनी और प्रतापी राजा बना। वैभव सम्पन्न होने पर भी वह कभी धर्म से विचलित नहीं हुआ। इसके कथनानुसार उसकी प्रजा ने भी विधि विधान से अक्षय तृतीया का व्रत रखना प्रारम्भ किया जिसके पुण्य प्रताप से सभी नगर निवासी, धन-धान्य से पूर्ण होकर वैभवशाली और सुखी हो गए।

कहते हैं परशुराम जी का अवतरण भी इसी दिन हुआ था। जो श्री विष्णु के अवतार हैं और 21 बार धरा को क्षत्रिय विहीन कर चुके हैं।

Leave a Reply