और मनोरथ जो कोइ लावै ।
सोइ अमित जीवन फल पावै ॥
अर्थात: जिस पर आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करें तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन में कोई सीमा नहीं होती।
चारों युग परताप तुम्हारा ।
है परसिद्ध जगत उजियारा ॥
अर्थात: चारो युगों सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग में आपका यश फैला हुआ है, जगत में आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है।
साधु संत के तुम रखवारे ।
असुर निकंदन राम दुलारे ॥
अर्थात: हे श्री राम के दुलारे! आप सज्जनों की रक्षा करते है और दुष्टों का नाश करते है।
अष्टसिद्धि नव निधि के दाता ।
अस बर दीन जानकी माता ॥
अर्थात: आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते है।
राम रसायन तुम्हरे पासा ।
सदा रहो रघुपति के दासा ॥
अर्थात: आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण में रहते है, जिससे आपके पास बुढ़ापा और असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम औषधि है।
तुम्हरे भजन रामको पावै ।
जन्म जन्म के दुख बिसरावै ॥
अर्थात: आपका भजन करने से श्री राम जी प्राप्त होते है और जन्म जन्मांतर के दुख दूर होते है।
अन्त काल रघुपति पुर जाई ।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥
अर्थात: अंत समय श्री रघुनाथ जी के धाम को जाते है और यदि फिर भी जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलाएंगे।
और देवता चित्त न धरई ।
हनुमत सेइ सर्व सुख करई ॥
अर्थात: हे हनुमान जी! आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते है, फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता नहीं रहती।