कामिका एकादशी व्रत विधि और कथा

कामिका एकादशी 2018 – कामिका एकादशी व्रत विधि और कथा

कामिका एकादशी 2018 सावन के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इसे ‘पवित्रा‘ के नाम से भी पुकारा जाता है। इस वर्ष कामिका एकादशी 07 अगस्त 2018 को है।

कामिका एकादशी 2018 व्रत विधि

प्रातः स्नानादि से निवृत्त हो, भगवान विष्णु की प्रतिमा को पंचामृत में स्नान कराके भोग लगाना चाहिए। आचमन के पश्चात धूप, दीप, चन्दन आदि सुगंधित पदार्थों से आरती उतारनी चाहिए।

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कामिका एकादशी 2018 व्रत कथा

प्राचीन काल में किसी गांव में एक ठाकुर रहते थे। ठाकुर क्रोधी स्वभाव के थे। अपने इस स्वभाव के कारण वे किसी ना किसी से लड़ते रहते थे। गाँव में सभी को उनसे भय लगता था।

एक बार उनकी एक ब्राह्मण से भिड़न्त हो गई। छोटी सी बात हाथापाई पर उतर आई और परिणामस्वरूप ब्राह्मण मारा गया। जब ठाकुर का क्रोध शांत हुआ तो उन्हें एहसास हुआ कि उनसे बहुत बड़ा पाप हो गया है और उन्हें ब्रह्महत्या का पाप लगेगा।

पाप का प्रायश्चित करने के लिए उन्होंने ब्राह्मण की तेरहवीं करनी चाही, मगर सब ब्राह्मणों ने भोजन करने से इनकार कर दिया। तब उन्होंने सभी ब्राह्मणों से निवेदन किया – “भगवन्! मेरा यह पाप कैसे दूर हो सकता है?” इस प्रार्थना पर उन सभी ने कामिका एकादशी व्रत रखने का परामर्श दिया। ठाकुर ने ब्राह्मणों के द्वारा बताये गए विधि-विधान और नियमों के अनुरूप कामिका एकादशी का व्रत रखा।

रात्रि में जब वह भगवान की मूर्ति के पास शयन कर रहा था तभी उसे एक स्वप्न आया। स्वप्न में भगवान ने कहा-“हे ठाकुर! तेरा सब पाप दूर हो गया। अब तू ब्राह्मण की तेरहवीं कर सकता है। तेरे घर का सूतक नष्ट हो गया।” ठाकुर ने अगले ही दिन ब्राह्मण की तेरहवीं का आयोजन किया। इस प्रकार विधिवत रूप से ब्राह्मण की तेरहवीं करके ठाकुर ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त हो, विष्णु लोक चला गया।

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स्रोत्र: The book of Hindu festivals and ceremonies by Om Lata Bahadur

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