कंचन बरण बिराज सुबेशा ।
कानन कुंडल कुंचित केशा ॥
अर्थात: आप सुनहले रंग, सुन्दर वस्त्रों, कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै ।
काँधे मूँज जनेऊ साजै ॥
अर्थात: आपके हाथ में बज्र और ध्वजा है और कन्धे पर मूंज के जनेऊ की शोभा है।
शंकर-सुवन केशरी-नन्दन ।
तेज प्रताप महा जग-वंदन ॥
अर्थात: शंकर के अवतार! हे केसरी नंदन आपके पराक्रम और महान यश की संसार भर में वन्दना होती है।
विद्यावान गुणी अति चातुर ।
राम काज करिबे को आतुर ॥
अर्थात: आप प्रकान्ड विद्या निधान है, गुणवान और अत्यन्त कार्य कुशल होकर श्री राम के काज करने के लिए आतुर रहते है।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
रामलखन सीता मन बसिया ॥
अर्थात: आप श्री राम चरित सुनने में आनन्द रस लेते है। श्री राम, सीता और लखन आपके हृदय में बसे रहते है।
सूक्ष्म रूपधरि सियहिं दिखावा ।
विकट रूप धरि लंक जरावा ॥
अर्थात: आपने अपना बहुत छोटा रूप धारण करके अशोक वाटिका में सीता जी को दिखलाया और भयंकर रूप करके लंका को जलाया।
भीम रूप धरि असुर सँहारे ।
रामचन्द्र के काज सँवारे ॥
अर्थात: आपने विकराल रूप धारण करके राक्षसों को मारा और श्री रामचन्द्र जी के उद्देश्यों को सफल कराया।
लाय सजीवन लखन जियाये ।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये ॥
अर्थात: आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को जिलाया जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको हृदय से लगा लिया।