निर्जला एकादशी

निर्जला एकादशी 2018 – निर्जला एकादशी व्रत कथा

ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी 2018 मनाई जाती है। इस व्रत में पानी पीना वर्जित होता है, इसलिए इसे निर्जला एकादशी 2018 कहते हैं। | वर्ष भर की चौबीस एकादशियों में से ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी सर्वोत्तम मानी गई है। इसका व्रत रखने से सारी एकादशियों के व्रतों का फल मिल जाता है।

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निर्जला एकादशी 2018 व्रत विधि

यह व्रत नर एवं नारियों दोनों को करना चाहिए। यदि बिना खाए रहा जाए तो फलाहार के साथ दूध लिया जा सकता है। इस दिन निर्जल व्रत करते हुए शेषशायी रूप में भगवान विष्णु की आराधना का विशेष महत्त्व है। इस दिन ओम् नमो भगवते वासुदेवायः का जाप करके गोदान, वस्त्र दान, छत्र, फल आदि का दान करना चाहिए। मेहंदी लगाकर, नथ पहनकर, ओढ़नी ओढ़कर सबको एकादशी के दिन सीदा निकालना चाहिए। एक मिट्टी के मटके में जल भरकर ढक्कन में चीनी, रूपया रखो/सीदे के साथ आम रखकर और करवे पर रोली से सतिया बनाकर ढक्कन से ढक दो फिर हाथ फेरकर सासुजी के पैर छूकर।

निर्जला एकादशी 2018 कथा

एक बार महर्षि व्यास पांडवों के यहाँ पधारे। भीम ने महर्षि व्यास से कहा, भगवान! युधिष्ठिर, अर्जुन, नकुल, सहदेव, माता कुन्ती और द्रौपदी सभी एकादशी का व्रत करते हैं और मुझसे भी व्रत रखने को कहते हैं। परन्तु मैं बिना खाए रह ही नहीं सकता। इसलिए चौबीस एकादशियों पर निराहार रहने का कष्ट साधना से बचाकर मुझे कोई ऐसा व्रत बताइये जिसे करने से मुझे विशेष असुविधा न हो और उन सबका फल भी मुझे मिल जाये।

महर्षि व्यास जानते थे कि भीम के उदर में वृक नामक अग्नि है इसलिए अधिक मात्रा में भोजन करने पर भी उसकी भूख शान्त नहीं होती है। महर्षि ने भीम से कहा तुम ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी का व्रत रखा करो। इस व्रत में स्नान आचमन में पानी पीने से दोष नहीं होता। इस व्रत से अन्य तेईस एकादशियों के पुण्य का लाभ भी मिलेगा। तुम जीवन पर्यन्त इस व्रत का पालन करो। भीम ने बड़े साहस के साथ निर्जला एकादशी का व्रत किया, जिसके परिणाम स्वरूप प्रात: होते-होते वह संज्ञाहीन हो गया। तब पांडवों ने गंगाजल, तुलसी चरणामृत प्रसाद, देकर उनकी मूर्छा दूर की। इसलिए इसे भीमसेन एकादशी भी कहते हैं।

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