योगिनी एकादशी

योगिनी एकादशी 2018 – योगिनी एकादशी व्रत विधि

योगिनी एकादशी 2018 का व्रत आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को किया जाता है। इस व्रत के प्रभाव से विभिन्न प्रकार के कष्टों का निवारण होता है और मनुष्य स्वर्ग लोक को प्राप्त होता है। योगिनी एकादशी 2018 में 9 जुलाई को है।

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योगिनी एकादशी 2018 व्रत विधि

इस एकादशी के व्रत में भगवान नारायण की मूर्ति को गंगा जल से स्नान कराना चाहिए। इसके पश्चात भोग लगाकर पुष्प, दीप से आरती की जाती है। भगवान नारायण को प्रसन्न करने के लिए श्रीमदभागवत पुराण, भगवत गीता अथवा विष्णु शहस्त्रनाम आदि का पाठ करना चाहिए। इस व्रत में गरीब ब्रह्मणों को दान देना चाहिए। इस व्रत के प्रभाव से पीपल का वृक्ष काटने के पाप का विनाश हो जाता है और स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है।

योगिनी एकादशी 2018 कथा

योगिनी एकादशी 2018 की कथा धन कुबेर से सम्बंधित है। कुबेर रावण के बड़े भाई और विश्रिवा ऋषि के पुत्र थे। दैत्यराज सोमाली के लंका से पलायन के बाद वहां कुबेर का ही आधिपत्य था जिसे बाद में रावण ने अपने अधीन कर लिया था। बाद में कुबेर ने भगवान शिव की आज्ञा से कैलाश के पास अलकापुरी नाम की नगरी का निर्माण किया। कुबेर को धन का देवता कहा जाता है।

योगिनी एकादशी की कथा कुछ इस प्रकार है –

कुबेर के यहाँ एक माली था, जिसका नाम हेम था। वह प्रतिदिन भगवान शंकर की पूजा हेतु मानसरोवर से फूल लाता था। एक दिन वह अपनी स्त्री के साथ कामोन्मत्त होकर विहार कर रहा था। इस प्रकार उसे फूल लाने में देरी हो गई। कुबेर ने क्रोध में हेम को कोढी हो जाने का श्राप दे दिया। कुबेर के श्राप से वह कोढ़ी बन गया। इस रूप में वह घूमता हुआ मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में पहुँचा। मार्कण्डेय ऋषि ने उसे योगिनी एकादशी का व्रत रखने का उपदेश दिया। व्रत के प्रभाव से हेम स्वस्थ हो गया तथा दिव्य शरीर धारण कर स्वर्ग को चला गया।

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