Welcome to Martfury Online Shopping Store !

हनुमान जी की संपूर्ण जानकारी और कहानियाँ | त्रेता युग से कलयुग तक

श्री राम का वनवास

मंथरा को कैकई अपने बचपन से जानती थीं। मंथरा ने कैकई को भड़का दिया कि सबकुछ राम को मिलेगा और उनके पुत्र भरत को कुछ भी नहीं। नियति ने कैकई से वो करवा दिया जो वो कभी नहीं करती। उन्होंने राजा दशरथ को उनके दिए दो वचनों का स्मरण कराया और कहा कि वो राम को 14 वर्ष का वनवास दें और भरत को सिंहासन। राजा दशरथ अपने वचनों से बाध्य हो गए और उन्होंने फैंसला सुना दिया। उन्होंने हर संभव कोशिश की कि श्री राम उनकी बात ना मानें परन्तु अपने पिता का दिया वचन मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम पूरा ना करें ऐसा तो संभव ही नहीं और वचनों को पूरा करना तो रघुकुल की नीति है।

श्री राम, लक्ष्मण और सीता के साथ वन को चल दिए। राजा दशरथ अपने पुत्र के वियोग में तड़पने लगे जैसा कि उन्हें श्राप मिला था।

 

सुग्रीव की सेना का प्रस्ताव

बाली की सेना का सेनापति गुणसुंदर हनुमान जी और सुग्रीव से ऋषियमूक पर्वत पर मिलता है और उन्हें बताता है कि बाली की सेना के बहुत से सैनिक उसके साथ रहना चाहते हैं और अब उन्हें खुद की सेना बनानी चाहिए। हनुमान जी ने प्रस्ताव को उचित बताया और सेना इकट्ठी करना आरम्भ किया। बाली की सेना के बहुत से सैनिक सुग्रीव के साथ आ गए। जामवंत जैसे बुद्धिमान और अनुभवी रीछ ने भी सुग्रीव का साथ दिया। जामवंत, ब्रह्मा जी के पुत्र थे।

 

मेघनाद का जन्म

लंका में तेज़ गडगडाहट के साथ बादल गरजे और मंदोदरी ने एक शक्तिशाली शिशु को जन्म दिया जिसका नाम उन्होंने मेघनाद रखा।

 

केवट द्वारा श्री राम का सरियु नदी पार कराना

केवट श्री राम का अतुलनीय भक्त था। जब उसे पता चला कि श्री राम सरियु नदी से होकर गुजरेंगे तो उसने ही उन्हें अपनी नाव में सरियु  नदी पार करायी। उधर अयोध्या में दशरथ जी कि हालत बहुत ख़राब हो चुकी थी। पुत्र वियोग में उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए।

 

भरत का अयोध्या आना

जब श्री राम को वनवास हुआ तब भरत अयोध्या में नहीं थे बल्कि अपने ननिहाल गए हुए थे। जब वे लौटे तब उन्हें पता चला कि उनके पिता की मृत्यु हो चुकी है और उनके भाई, भाभी को वनवास मिला। क्रोध में उन्होंने अपनी माता और मंदोदरी को धिक्कारना शुरू कर दिया। जब उन्हें कहा गया कि अब वे राजा हैं तो उन्होंने इनकार कर दिया और श्री राम की खोज में वन को चले गए।

 

हनुमान जी द्वारा रुमा को मुक्त कराना

बाली ने सुग्रीव की पत्नी रुमा को अपने कारावास में बंधक बना कर रखा था। हनुमान जी ने उसे मुक्त कराया और बाली की पत्नी तारा और पुत्र अंगद के पास जंगल में छोड़ आये। बाली की पत्नी और पुत्र ने बाली को पहले ही छोड़ दिया था और जंगले में रहने लगे थे।

Page: 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32

Leave a Comment
Share
Published by
krishnakutumbapp

Recent Posts

How Ravana Build a House in Kailash for Shiva?

Shiva had three children - Kartikeya, Ashok Sundari and Ganesha. One day the whole family…

6 years ago

Pratham Pujya Ganesha – Story of Race between Deities

Demon King Bali wanted to spread peace among world. So he organized a yajna where…

6 years ago

Nageshwar Jyotirlinga – Story of Female Demon Daruka

Nageshwar Jyotirlinga is situated at about 25km away from Dwarka. Here, Shiva is worshiped as…

6 years ago

Vrishabh Avatar – Fight Between Shiva and Narayana

Once Goddess Lakshmi argued with Vishnu over the matter of who resides inside his heart.…

6 years ago

Grihapati – Incarnation of Shiva | Slaying of Durgasur

There was a sage named Vishwanath. He and his wife, Suchismati, were doing a hard…

6 years ago